Wednesday, September 15, 2021

पहाड़ों पे सुकून

खूबसूरत से शहर में ,
कोई उस जैसा ही आया था ,
पहली ही नज़र में जिसने ,
कइयों का दिल चुराया था ।

सब बिखरा और टूटा था ,
जबसे साथ उसका छूटा था ,
पर अब वो मुस्कुरा रही थी ,
खुद से खुद को मिलवा रही थी ।

नज़र पड़ी जो पहली दफा ,
कुछ धुंधली वो नज़र आई ,
आंखो में बसा था सुकून ,
मुस्कुराहट में सच्चाई ।

सर्द मौसम में भी ,
कैसी ये गर्माहट थी ,
मखमल का चादर ओढ़े ,
ये किसकी अमानत थी ।

पहाड़ों के इस सफर में ,
आसमां में बादल का पहरा था ,
खूबसूरत सीरत का असर,
इस दफा मुझपर काफी गहरा था ।

सुकून के तलाश में ,
मैं एक सुकून से जा मिला था ,
पहाड़ों की वादियों में ,
जो खुद को ढूंढ रहा था ।।

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