Wednesday, September 8, 2021

आसूं

सफ़र मेरा भी खूब होता है ,
बड़ी मुश्किल से नसीब होता है ,
गर ना हो वजह कोई खास ,
तो भला मुझसे ,
मुखातिब कहां कोई होता है ।

दिल में आने पर ख़बर ,
असर दिल पर कुछ ऐसा होता है ,
जज्बातों की शक्ल बन कर ,
मेरा सफर शुरू होता है ।

मैं बढ़ता और घटता हू ,
जज़्बात के इशारों पर ,
अक्सर आकार रुक जाता हू ,
पलकों के किनारे पर ।

मेरे आने की वजह मुश्किल है ,
किसी को बता पाना ,
कभी आता खुशियों में बहने ,
कभी गम में मिल जाता ठिकाना ।

मुझे देख पाना आसान होता है ,
छिपाना उतना ही मुश्किल ,
बड़ी कोशिशों के बाद ही ,
मिल पाती है मुझे मंजिल ।

बस कभी कभी पलके मुझे ,
बेसहारा छोड़ देती हैं ,
कतरा कतरा तोड़ कर मुझे ,
मंजिल मेरी मोड़ देती है ।

पर आज भी हु जिंदा मैं ,
किसी की आंखो का नूर बन कर ,
किसी के दिल से बहने को बेकार ,
उसका मलाल और कसूर बन कर ।।

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