Sunday, September 26, 2021

हर सुबह इश्क़

ये जो रोज रोज ,
तुम जो इश्क़ बदलते हो ,
हर सुबह पड़ कर जिसमें ,
शाम को बिछड़ते हो ।

क्या दिल नहीं टिकता कहीं ,
या इश्क़ का तुम समंदर हो ,
डुबकियां लगाने की ख्वाइश में ,
किसी के मौत का मंजर हो ।

तुम हो भला कौन ,
पल भर में जो दिल लगाता हैं ,
चुरा कर मोतियां सिप से ,
इश्क़ की तलाश में निकल जाता है ।

दिल लगाना होता है आसान ,
इश्क़ निभाना उतना ही मुश्किल ,
सिर्फ जिस्म की ख्वाइश में ,
कहां पड़ता है कोई दिल ।

जिस्म नहीं रूह से ,
हमेशा उनके वो जुड़ता है ,
पल भर में जीवन भर की खुशियां ,
झोली में जिनके भरता है ।

सौदा इश्क़ का हो या शब्दों का ,
सौदागर वो कहलाएगा ,
पल भर की खुशियां हो या गम ,
उनके हिस्से कुछ जरूर छोड़ जाएगा ।

वो पूछती है आज भी उससे ,
तुम करते हो ऐसा क्यों भला ,
इश्क़ में तुमसा कोई इश्क़ करने वाला ,
आज तक तुन्हें क्यों नहीं मिला ।।

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