उस रोज़ जब तूने दुप्पटा ,
हवा में लहराया था ,
तेरे वजूद का एक हिस्सा ,
मुझसे पहली दफा टकराया था ।
मैं पल भर के लिए थम गया ,
या तूने किया मुझपर कोई जादू था ,
पहली दफा पहली नजर में ,
हुआ मेरा दिल बेकाबू था ।
तस्वीर से भी खूबसूरत ,
उसका दीदार था ,
पहली नजर वाला ,
मेरा वो पहला प्यार था ।
झुकी नज़रे और पलकों की शरारत ,
क्या खूब कहानियां बना रहे थे ,
हम उनसे लगा रहे थे दिल ,
और वो इस सच को झुठला रहे थे ।
दुप्पटा सरका सर से उनके ,
कांधे पर आकर रुक गया ,
मानो इजाज़त दी हो निहारने की ,
दुप्पटे से था जो छिप गया ।
वो खूबसूरत चेहरा और झुमके ,
बिंदी भी क्या खूब जच रही थी ,
पहली दफा पहली सी मोहबब्त ,
अब वो मुहसे भी कर रही थी ।
दुप्पटा सिर्फ श्रृंगार ही नहीं ,
मोहब्बत को भी सजाता है ,
इश्क़ निभाने जब कोई ,
दुप्पटा ओढ़ कर आता है ।
तुम मेरे ख्वाबों का वो सच हो ,
जिसका हर जिक्र अब अंजना नहीं ,
दिल में हो सबसे करीब मेरे ,
इस घर की तुम अब मेहमान नहीं ।
ओढ़ कर आना दुप्पटा ,
फिरसे इश्क़ निभाने को ,
पहली दफा सी मोहब्बत ,
हर दफा कर जाने को ।।
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