बड़ी मुश्किलों से गुजर ,
रहा था दिल मेरा ,
मिल ही गई मंजिल मुझे ,
आखिर किसी तरह ।
वो सामने मेरे खड़ी थी ,
निगाहों को थोड़ी हड़बड़ी थी ,
एक पल में वो कही खो गई ,
लगा मेरी कहानी अधूरी हो गई ।
शाम के रात हो जाने के ,
इंतजार में हम वही खड़े थे ,
जहां एक पल में बेकरार ,
अगले ही पल बेखबर हुए थे ।
चांद से आने से पहले ,
एक चांद का टुकड़ा ,
धरती पर आ गिरा था ,
एक और दफा जो ,
मेरे सामने खड़ा था ।
इस दफा नज़रे मिली हमारी ,
और वो भी थम सी गई थी ,
मानो लौट आने का इंतजार ,
वो मुझसे भी ज्यादा कर रही थी ।
बस निगाहों से कह दी ,
हमनें दिल की हर बात ,
मिलने लगे हैं हम दोनों ,
अब हर दिन और रात ।
आप सा इश्क़ करने वाला ,
कहां आप को मिल पाता है ,
खुशनसीब कम होते हैं मुझ जैसे ,
जिन्हें ये इश्क़ नसीब हो पाता है ।।
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